Singer: Jagjith Singh
शोला हूँ भड़कने की गुजारिश नहीं करता,
सच मुहँ से निकल जाता है, कोशिश नहीं करता.
गिरती हुई दीवार का हमदर्द हूँ लेकिन,
चढ़ते हुए सूरज की परश्तिश नहीं करता.
माथे के पसीने की महक आये ना जैसी,
वो खून मेरे जिस्म में गर्दिश नहीं करता
हमदर्द-ए-एहबाब से डरता हूँ 'मुज़फ्फर'
मैं ज़ख्म तो रखता हूँ, नुमाइश नहीं करता.
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- शोला हूँ भड़कने की गुजारिश नहीं करता,
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Sunday, March 28, 2010
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