Singer: Jagjith Singh
शोला हूँ भड़कने की गुजारिश नहीं करता,
सच मुहँ से निकल जाता है, कोशिश नहीं करता.
गिरती हुई दीवार का हमदर्द हूँ लेकिन,
चढ़ते हुए सूरज की परश्तिश नहीं करता.
माथे के पसीने की महक आये ना जैसी,
वो खून मेरे जिस्म में गर्दिश नहीं करता
हमदर्द-ए-एहबाब से डरता हूँ 'मुज़फ्फर'
मैं ज़ख्म तो रखता हूँ, नुमाइश नहीं करता.
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2010
(14)
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March
(14)
- शोला हूँ भड़कने की गुजारिश नहीं करता,
- देने वाले मुझे मौजों की रवानी देदे,
- ग़म का खजाना तेरा भी है मेरा भी
- चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम
- दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है
- नज़र नज़र से मिलाकर शराब पीते हैं
- जो भी बुरा भला है अल्लाह जानता है
- ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
- उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनक
- बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया है मेरे आगे Lyrics: ...
- प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है Lyr...
- अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको Lyricist: ...
- बात साक़ी की न टाली जाएगी Lyricist: Habib Jaleel...
- बोल रहा था कल वो मुझसे हाथ में मेरा हाथ लिए Lyri...
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March
(14)
Sunday, March 28, 2010
देने वाले मुझे मौजों की रवानी देदे,
Singer: Jagjit Singh
देने वाले मुझे मौजों की रवानी देदे,
फिर से एक बार मुझे मेरी जवानी देदे.
अब्र हो, जाम हो, साकी हो मेरे पहलू में,
कोई तो शाम मुझे ऐसी सुहानी देदे.
नशा आ जाये मुझे तेरी जवानी की कसम,
तू अगर जाम में भर के मुझे पानी देदे.
हर जवान दिल मेरे अफसानो को दोहराता रहे,
हश्र तक ख़त्म ना हो, ऐसी कहानी देदे.
देने वाले मुझे मौजों की रवानी देदे,
फिर से एक बार मुझे मेरी जवानी देदे.
अब्र हो, जाम हो, साकी हो मेरे पहलू में,
कोई तो शाम मुझे ऐसी सुहानी देदे.
नशा आ जाये मुझे तेरी जवानी की कसम,
तू अगर जाम में भर के मुझे पानी देदे.
हर जवान दिल मेरे अफसानो को दोहराता रहे,
हश्र तक ख़त्म ना हो, ऐसी कहानी देदे.
ग़म का खजाना तेरा भी है मेरा भी
ग़म का खजाना तेरा भी है मेरा भी
Lyrics: Habib Jaleel
Singer: Jagjeet Singh
ग़म का खजाना तेरा भी है मेरा भी
ये नजराना तेरा भी है मेरा भी
अपने गम को गीत बना कर गा ले आ
राग पुराना तेरा भी है मेरा भी
तू मुझको और मैं तुझको समझाऊँ क्या
दिल दीवाना तेरा भी है मेरा भी
शहर में गलियों गलियों जिसका चर्चा है
वो अफसाना तेरा भी है मेरा भी
मैखाने की बात न कर वाइज़ मुझसे
आना-जाना तेरा भी है मेरा भी
Lyrics: Habib Jaleel
Singer: Jagjeet Singh
ग़म का खजाना तेरा भी है मेरा भी
ये नजराना तेरा भी है मेरा भी
अपने गम को गीत बना कर गा ले आ
राग पुराना तेरा भी है मेरा भी
तू मुझको और मैं तुझको समझाऊँ क्या
दिल दीवाना तेरा भी है मेरा भी
शहर में गलियों गलियों जिसका चर्चा है
वो अफसाना तेरा भी है मेरा भी
मैखाने की बात न कर वाइज़ मुझसे
आना-जाना तेरा भी है मेरा भी
Friday, March 26, 2010
चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम
चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम
Lyrics: Sudarshan Faakir
Singer: Jagjeet Singh
चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी
शबाब की नक़ाब गुम बड़ी हसीन रात थी।
मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शमाँ बुझ गई
गिलास ग़ुम,शराब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी।
लिखा था जिस किताब कि इश्क़ तो हराम है
हुई वही किताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी।
लबों से लब जो मिल गए,लबों से लब ही सिल गए
सवाल ग़ुम जवाब ग़ुम बड़ी हसींन रीत थी।
Lyrics: Sudarshan Faakir
Singer: Jagjeet Singh
चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी
शबाब की नक़ाब गुम बड़ी हसीन रात थी।
मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शमाँ बुझ गई
गिलास ग़ुम,शराब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी।
लिखा था जिस किताब कि इश्क़ तो हराम है
हुई वही किताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी।
लबों से लब जो मिल गए,लबों से लब ही सिल गए
सवाल ग़ुम जवाब ग़ुम बड़ी हसींन रीत थी।
दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है
दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है
Lyricist: Mirza Ghalib
Singer: Jagjeet Singh, Chitra Singh
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है।
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है।
जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है।
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैंने नहीं जानता दुआ क्या है।
–
मुश्ताक़ = Eager, Ardent
बेज़ार = Angry, Disgusted
Lyricist: Mirza Ghalib
Singer: Jagjeet Singh, Chitra Singh
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है।
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है।
जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है।
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैंने नहीं जानता दुआ क्या है।
–
मुश्ताक़ = Eager, Ardent
बेज़ार = Angry, Disgusted
नज़र नज़र से मिलाकर शराब पीते हैं
नज़र नज़र से मिलाकर शराब पीते हैं
Lyricist: Tasneem Farooqui
Singer: Jagjeet Singh
नज़र नज़र से मिलाकर शराब पीते हैं
हम उनको पास बिठाकर शराब पीते हैं।
इसीलिए तो अँधेरा है मैकदे में बहुत
यहाँ घरों को जलाकर शराब पीते हैं।
हमें तुम्हारे सिवा कुछ नज़र नहीं आता
तुम्हें नज़र में सजा कर शराब पीते हैं।
उन्हीं के हिस्से आती है प्यास ही अक्सर
जो दूसरों को पिला कर शराब पीते हैं।
Lyricist: Tasneem Farooqui
Singer: Jagjeet Singh
नज़र नज़र से मिलाकर शराब पीते हैं
हम उनको पास बिठाकर शराब पीते हैं।
इसीलिए तो अँधेरा है मैकदे में बहुत
यहाँ घरों को जलाकर शराब पीते हैं।
हमें तुम्हारे सिवा कुछ नज़र नहीं आता
तुम्हें नज़र में सजा कर शराब पीते हैं।
उन्हीं के हिस्से आती है प्यास ही अक्सर
जो दूसरों को पिला कर शराब पीते हैं।
जो भी बुरा भला है अल्लाह जानता है
जो भी बुरा भला है अल्लाह जानता है
Lyrics: Akhtar
Singer: Jagjit Singh, Lata Mangeshkar
जो भी बुरा भला है अल्लाह जानता है,
बंदे के दिल में क्या है अल्लाह जानता है।
ये फर्श-ओ-अर्श क्या है अल्लाह जानता है,
पर्दों में क्या छिपा है अल्लाह जानता है।
जाकर जहाँ से कोई वापस नहीं है आता,
वो कौन सी जगह है अल्लाह जानता है
नेक़ी-बदी को अपने कितना ही तू छिपाए,
अल्लाह को पता है अल्लाह जानता है।
ये धूप-छाँव देखो ये सुबह-शाम देखो
सब क्यों ये हो रहा है अल्लाह जानता है।
क़िस्मत के नाम को तो सब जानते हैं लेकिन
क़िस्मत में क्या लिखा है अल्लाह जानता है।
–
अर्श = Roof
Lyrics: Akhtar
Singer: Jagjit Singh, Lata Mangeshkar
जो भी बुरा भला है अल्लाह जानता है,
बंदे के दिल में क्या है अल्लाह जानता है।
ये फर्श-ओ-अर्श क्या है अल्लाह जानता है,
पर्दों में क्या छिपा है अल्लाह जानता है।
जाकर जहाँ से कोई वापस नहीं है आता,
वो कौन सी जगह है अल्लाह जानता है
नेक़ी-बदी को अपने कितना ही तू छिपाए,
अल्लाह को पता है अल्लाह जानता है।
ये धूप-छाँव देखो ये सुबह-शाम देखो
सब क्यों ये हो रहा है अल्लाह जानता है।
क़िस्मत के नाम को तो सब जानते हैं लेकिन
क़िस्मत में क्या लिखा है अल्लाह जानता है।
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अर्श = Roof
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
Lyrics: Sudarshan Faakir
Singer: Jagjit Singh, Chitra Singh
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो,
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी।
मग़र मुझको लौटा दो बचपन का सावन,
वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी।
मोहल्ले की सबसे निशानी पुरानी,
वो बुढ़िया जिसे बच्चे कहते थे नानी,
वो नानी की बातों में परियों का डेरा,
वो चेहरे की झुर्रियों में सदियों का फेरा,
भुलाए नहीं भूल सकता है कोई,
वो छोटी-सी रातें वो लम्बी कहानी।
कड़ी धूप में अपने घर से निकलना
वो चिड़िया, वो बुलबुल, वो तितली पकड़ना,
वो गुड़िया की शादी पे लड़ना-झगड़ना,
वो झूलों से गिरना, वो गिर के सँभलना,
वो पीपल के पल्लों के प्यारे-से तोहफ़े,
वो टूटी हुई चूड़ियों की निशानी।
कभी रेत के ऊँचे टीलों पे जाना
घरौंदे बनाना,बना के मिटाना,
वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी,
वो ख़्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी,
न दुनिया का ग़म था, न रिश्तों का बंधन,
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िन्दगानी।
Lyrics: Sudarshan Faakir
Singer: Jagjit Singh, Chitra Singh
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो,
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी।
मग़र मुझको लौटा दो बचपन का सावन,
वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी।
मोहल्ले की सबसे निशानी पुरानी,
वो बुढ़िया जिसे बच्चे कहते थे नानी,
वो नानी की बातों में परियों का डेरा,
वो चेहरे की झुर्रियों में सदियों का फेरा,
भुलाए नहीं भूल सकता है कोई,
वो छोटी-सी रातें वो लम्बी कहानी।
कड़ी धूप में अपने घर से निकलना
वो चिड़िया, वो बुलबुल, वो तितली पकड़ना,
वो गुड़िया की शादी पे लड़ना-झगड़ना,
वो झूलों से गिरना, वो गिर के सँभलना,
वो पीपल के पल्लों के प्यारे-से तोहफ़े,
वो टूटी हुई चूड़ियों की निशानी।
कभी रेत के ऊँचे टीलों पे जाना
घरौंदे बनाना,बना के मिटाना,
वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी,
वो ख़्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी,
न दुनिया का ग़म था, न रिश्तों का बंधन,
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िन्दगानी।
उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनक
उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनक
Lyrics: Mirza Ghalib
Singer: Jagjit Singh
उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनक
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।
देखिए पाते हैं उशशाक़ बुतों से क्या फ़ैज़
इक बराह्मन ने कहा है कि ये साल अच्छा है।
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीकत लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है।
Lyrics: Mirza Ghalib
Singer: Jagjit Singh
उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनक
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।
देखिए पाते हैं उशशाक़ बुतों से क्या फ़ैज़
इक बराह्मन ने कहा है कि ये साल अच्छा है।
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीकत लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है।
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया है मेरे आगे
Lyrics: Mirza Ghalib
Singer: Jagjit Singh
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया है मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।
होता है निहाँ गर्द में सहरा मेरे होते
घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया मेरे आगे।
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे।
ईमान मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है कलीसा मेरे आगे।
गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी सागर-ओ-मीना मेरे आगे।
Lyrics: Mirza Ghalib
Singer: Jagjit Singh
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया है मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।
होता है निहाँ गर्द में सहरा मेरे होते
घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया मेरे आगे।
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे।
ईमान मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है कलीसा मेरे आगे।
गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी सागर-ओ-मीना मेरे आगे।
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
Lyrics: Hasti
Singer: Jagjit Singh
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नये परिन्दों को उड़ने में वक़्त तो लगता है।
जिस्म की बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था,
लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है।
गाँठ अगर पड़ जाए तो फिर रिश्ते हों या डोरी,
लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है।
हमने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँढ़ लिया है,
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है।
Lyrics: Hasti
Singer: Jagjit Singh
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नये परिन्दों को उड़ने में वक़्त तो लगता है।
जिस्म की बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था,
लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है।
गाँठ अगर पड़ जाए तो फिर रिश्ते हों या डोरी,
लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है।
हमने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँढ़ लिया है,
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है।
अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको
Lyricist: Qateel Shifai
Singer: Jagjeet Singh
अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको
मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको।
मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने
ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको।
ख़ुद को मैं बाँट ना डालूँ कहीं दामन-दामन
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको।
बादाह फिर बादाह है मैं ज़हर भी पी जाऊँ ‘क़तील’
शर्त ये है कोई बाहों में सम्भाले मुझको।
–
बादाह = Wine, Spirits
Lyricist: Qateel Shifai
Singer: Jagjeet Singh
अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको
मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको।
मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने
ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको।
ख़ुद को मैं बाँट ना डालूँ कहीं दामन-दामन
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको।
बादाह फिर बादाह है मैं ज़हर भी पी जाऊँ ‘क़तील’
शर्त ये है कोई बाहों में सम्भाले मुझको।
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बादाह = Wine, Spirits
बात साक़ी की न टाली जाएगी
Lyricist: Habib Jaleel
Singer: Jagjeet Singh, Chitra Singh
बात साक़ी की न टाली जाएगी
कर के तौबा तोड़ डाली जाएगी।
देख लेना वो न खाली जाएगी
आह जो दिल से निकाली जाएगी।
ग़र यही तर्ज़-ए-फुगाँ है अन्दलीब
तो भी गुलशन से निकाली जाएगी।
आते-आते आएगा उनको ख़याल
जाते-जाते बेख़याली जाएगी।
क्यों नहीं मिलती गले से तेग़-ए-नाज़
ईद क्या अब के भी खाली जाएगी।
–
फुगाँ = Cry of Pain
अन्दलीब = Nightingale
Lyricist: Habib Jaleel
Singer: Jagjeet Singh, Chitra Singh
बात साक़ी की न टाली जाएगी
कर के तौबा तोड़ डाली जाएगी।
देख लेना वो न खाली जाएगी
आह जो दिल से निकाली जाएगी।
ग़र यही तर्ज़-ए-फुगाँ है अन्दलीब
तो भी गुलशन से निकाली जाएगी।
आते-आते आएगा उनको ख़याल
जाते-जाते बेख़याली जाएगी।
क्यों नहीं मिलती गले से तेग़-ए-नाज़
ईद क्या अब के भी खाली जाएगी।
–
फुगाँ = Cry of Pain
अन्दलीब = Nightingale
बोल रहा था कल वो मुझसे हाथ में मेरा हाथ लिए
Lyricist: Qateel Shifai
Singer: Hussain Brothers
बोल रहा था कल वो मुझसे हाथ में मेरा हाथ लिए
चलते रहेंगे सुख-दुख के हम सारे मौसम साथ लिए।
उसने अपनी झोली से कल प्यार के हमको फूल दिए
लौट आए हैं दामन भर के उसकी ये सौग़ात लिए।
रंग डालो तन मन की बगिया, फ़ागुन बन कर आ जाओ
बरस पड़ो दिल के आँगन में रंगों की बरसात लिए।
हमने अपनी सारी शामें लिख दीं उनके नाम ‘क़तील’
उम्र का लमहा-लमहा बीता उनको अपने साथ लिए।
Lyricist: Qateel Shifai
Singer: Hussain Brothers
बोल रहा था कल वो मुझसे हाथ में मेरा हाथ लिए
चलते रहेंगे सुख-दुख के हम सारे मौसम साथ लिए।
उसने अपनी झोली से कल प्यार के हमको फूल दिए
लौट आए हैं दामन भर के उसकी ये सौग़ात लिए।
रंग डालो तन मन की बगिया, फ़ागुन बन कर आ जाओ
बरस पड़ो दिल के आँगन में रंगों की बरसात लिए।
हमने अपनी सारी शामें लिख दीं उनके नाम ‘क़तील’
उम्र का लमहा-लमहा बीता उनको अपने साथ लिए।
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