Jagjeet Singh Ghazals Lyrics in Hindi

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Sunday, March 28, 2010

शोला हूँ भड़कने की गुजारिश नहीं करता,

Singer: Jagjith Singh

शोला हूँ भड़कने की गुजारिश नहीं करता,


सच मुहँ से निकल जाता है, कोशिश नहीं करता.



गिरती हुई दीवार का हमदर्द हूँ लेकिन,

चढ़ते हुए सूरज की परश्तिश नहीं करता.



माथे के पसीने की महक आये ना जैसी,

वो खून मेरे जिस्म में गर्दिश नहीं करता



हमदर्द-ए-एहबाब से डरता हूँ 'मुज़फ्फर'

मैं ज़ख्म तो रखता हूँ, नुमाइश नहीं करता.

देने वाले मुझे मौजों की रवानी देदे,

Singer: Jagjit Singh

देने वाले मुझे मौजों की रवानी देदे,


फिर से एक बार मुझे मेरी जवानी देदे.



अब्र हो, जाम हो, साकी हो मेरे पहलू में,

कोई तो शाम मुझे ऐसी सुहानी देदे.



नशा आ जाये मुझे तेरी जवानी की कसम,

तू अगर जाम में भर के मुझे पानी देदे.



हर जवान दिल मेरे अफसानो को दोहराता रहे,

हश्र तक ख़त्म ना हो, ऐसी कहानी देदे.

ग़म का खजाना तेरा भी है मेरा भी

ग़म का खजाना तेरा भी है मेरा भी

Lyrics: Habib Jaleel
Singer: Jagjeet Singh

ग़म का खजाना तेरा भी है मेरा भी


ये नजराना तेरा भी है मेरा भी



अपने गम को गीत बना कर गा ले आ

राग पुराना तेरा भी है मेरा भी



तू मुझको और मैं तुझको समझाऊँ क्या

दिल दीवाना तेरा भी है मेरा भी



शहर में गलियों गलियों जिसका चर्चा है

वो अफसाना तेरा भी है मेरा भी



मैखाने की बात न कर वाइज़ मुझसे

आना-जाना तेरा भी है मेरा भी

Friday, March 26, 2010

चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम

चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम


Lyrics: Sudarshan Faakir

Singer: Jagjeet Singh



चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी

शबाब की नक़ाब गुम बड़ी हसीन रात थी।



मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शमाँ बुझ गई

गिलास ग़ुम,शराब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी।



लिखा था जिस किताब कि इश्क़ तो हराम है

हुई वही किताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी।



लबों से लब जो मिल गए,लबों से लब ही सिल गए

सवाल ग़ुम जवाब ग़ुम बड़ी हसींन रीत थी।

दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है


Lyricist: Mirza Ghalib

Singer: Jagjeet Singh, Chitra Singh



दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?



हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद

जो नहीं जानते वफ़ा क्या है।



हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार

या इलाही ये माजरा क्या है।



जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद

फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है।



जान तुम पर निसार करता हूँ

मैंने नहीं जानता दुआ क्या है।





मुश्ताक़ = Eager, Ardent

बेज़ार = Angry, Disgusted

नज़र नज़र से मिलाकर शराब पीते हैं

नज़र नज़र से मिलाकर शराब पीते हैं


Lyricist: Tasneem Farooqui

Singer: Jagjeet Singh



नज़र नज़र से मिलाकर शराब पीते हैं

हम उनको पास बिठाकर शराब पीते हैं।



इसीलिए तो अँधेरा है मैकदे में बहुत

यहाँ घरों को जलाकर शराब पीते हैं।



हमें तुम्हारे सिवा कुछ नज़र नहीं आता

तुम्हें नज़र में सजा कर शराब पीते हैं।



उन्हीं के हिस्से आती है प्यास ही अक्सर

जो दूसरों को पिला कर शराब पीते हैं।

जो भी बुरा भला है अल्लाह जानता है

जो भी बुरा भला है अल्लाह जानता है



Lyrics: Akhtar

Singer: Jagjit Singh, Lata Mangeshkar



जो भी बुरा भला है अल्लाह जानता है,

बंदे के दिल में क्या है अल्लाह जानता है।



ये फर्श-ओ-अर्श क्या है अल्लाह जानता है,

पर्दों में क्या छिपा है अल्लाह जानता है।



जाकर जहाँ से कोई वापस नहीं है आता,

वो कौन सी जगह है अल्लाह जानता है



नेक़ी-बदी को अपने कितना ही तू छिपाए,

अल्लाह को पता है अल्लाह जानता है।



ये धूप-छाँव देखो ये सुबह-शाम देखो

सब क्यों ये हो रहा है अल्लाह जानता है।



क़िस्मत के नाम को तो सब जानते हैं लेकिन

क़िस्मत में क्या लिखा है अल्लाह जानता है।







अर्श = Roof

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